Editorial: नौकरशाह पर यौन शोषण के आरोप शर्मनाक, जांच जरूरी
- By Habib --
- Friday, 08 Nov, 2024
Allegations of sexual harassment against a bureaucrat are shameful
Allegations of sexual harassment against a bureaucrat are shameful, investigation is necessary: हरियाणा में एक एसपी स्तर के पुलिस अधिकारी पर महिला पुलिस कर्मियों के द्वारा यौन शोषण के आरोप की शिकायत की जांच अभी चल ही रही है कि एक एचसीएस अधिकारी के द्वारा मसाज के नाम पर एक पुरुष कर्मी के यौन शोषण का मामला और सामने आ गया है। आईपीएस अधिकारी पर लगे आरोपों की सच्चाई अभी संदिग्ध है, क्योंकि एडीजीपी स्तर की महिला पुलिस अधिकारी जब इस मामले की जांच कर रही हैं, तब 136 महिला पुलिस कर्मियों से पूछताछ के बावजूद अभी तक किसी ने इस आरोप की पुष्टि नहीं की है। ऐसा किसी भय की वजह से हो रहा है, या फिर यह संबंधित आईपीएस के खिलाफ एक साजिश थी, इसका खुलासा नहीं हो पा रहा है।
हालांकि एचसीएस अधिकारी के मामले में एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वह संबंधित पुरुष कर्मी के यौन शोषण में संलिप्त नजर आता है। इसके अलावा संबंधित कर्मी की ओर से पुलिस के आलाधिकारियों को एक शिकायत पत्र लिखा गया था, जिसके आधार पर पुलिस ने अब संबंधित एचसीएस पर केस दर्ज किया है। हालांकि राज्य सरकार ने तुरंत प्रभाव से उसे निलंबित कर दिया है। वास्तव में यह बेहद शर्मनाक बात है कि संबंधित एचसीएस इस तरह के मामले में संलिप्त है। क्या यही सामाजिक सरोकार हैं, आज के समय में लोगों के, कि वे इस प्रकार के अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। सबसे पहले तो इस मामले में पुलिस ने पीड़ित की शिकायत ही लेना उचित नहीं समझा लेकिन फिर जब यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो पुलिस ने आरोपी एचसीएस पर कार्रवाई की वहीं सरकार ने उसे निलंबित कर दिया। वास्तव में राज्य सरकार को चाहिए कि इस तरह के मामलों को बेहद संजीदगी के साथ ले और इन पर तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बताया गया है कि विधानसभा चुनाव के दौरान हिसार में संबंधित एचसीएस अधिकारी पीड़ित को बुलाता था। दरअसल, आज के समय में इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कौन किस प्रकार के अपराध में संलिप्त मिल सकता है। अब जब पुलिस केस दर्ज हो चुका है तो आरोपी की ओर से अदालत में अपने बचाव के तमाम हथकंडे अपनाए जाएंगे। क्या पीड़ित की आवाज को सही माना जाएगा। वह दलित समाज से संबंधित व्यक्ति है। जोकि पहले से ही एक कमजोर आवाज रखता है, उसके साथ ऐसा अनाचार होता रहा और इसकी किसी को भनक तक नहीं लगी। क्या शासन-सत्ता और अधिकारी होने के नाम पर कोई इस प्रकार का बर्ताव करेगा। हरियाणा में अपराध का मामला विधानसभा चुनाव के दौरान मुद्दा बना था। विपक्ष की ओर से इसके आरोप लगाए गए थे कि प्रदेश में रेप एवं महिला अपराधों में भारी बढ़ोतरी हुई है। हालांकि ऐसी स्थिति पूरे देश की है। अपराध कहीं भी और कभी भी घट सकते हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में बीती सरकार के समय तत्कालीन खेल मंत्री पर एक महिला खेल प्रशिक्षक ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। इन आरोपों की जांच भी हुई और मामला चंडीगढ़ की अदालत में चल रहा है। निश्चित रूप से किसी पर आरोप लगने मात्र से वह अपराधी नहीं हो जाता लेकिन इस तरह के आरोप किसी की जिंदगी को बर्बाद कर सकते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सच में उन आरोपों में कुछ ठोस है। महिला पुलिस कर्मचारियों का एसपी स्तर के अधिकारी के साथ ही राब्ता होता है, लेकिन यह खेदजनक है कि उनकी ओर से ऐसे आरोप लगे। सबसे पहले तो यह कि ऐसे आरोप लगाते हुए पुलिस कर्मी या कोई भी निचले दर्जे का कर्मचारी डरता ही है। उसे अपनी नौकरी और जान-माल का खतरा होता है। तब हिम्मत करके अगर उन कर्मचारियों ने इस मामले को सामने ला भी दिया है तो इसे फौरी जांच करके नहीं टाला जा सकता। यह पता लगाया जाना जरूरी है कि क्या सच में ऐसा हुआ था और अगर हुआ तो संबंधित अधिकारी को सजा किस प्रकार सुनिश्चित की जाएगी। इस केस में एक बेहद दुखद बात सामने आ रही है, वह यह है कि शिकायतकर्ता महिला पुलिस कर्मियों ने बताया है कि एक महिला अधिकारी उन्हें उस अधिकारी तक लेकर गई थी।
इस दौरान यह भी बताया जा रहा है कि जब उस महिला पुलिसकर्मी के साथ यौन उत्पीड़न हुआ तो उसने लाज बचाकर भागने की कोशिश की। वास्तव में सरकार की ओर से समय पर जांच के आदेश उचित हैं, लेकिन अब उन शिकायतकर्ताओं को सामने आना जरूरी है, जिन्होंने एक पत्र सोशल मीडिया में जारी किया, अगर सच में ऐसा हुआ है तो अब पुलिस को सहयोग किया जाना जरूरी है। वहीं एचसीएस मामले में भी पुलिस की ओर से निष्पक्ष कार्रवाई होनी जरूरी है। यह मामले राज्य सरकार की साख को प्रभावित करने वाले हैं। यह आवश्यक है कि दोनों मामलों में दूध का दूध और पानी का पानी सुनिश्चित हो।
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